Leela
₹200 ₹160
Author:
Ajay Manchanda

Language | Hindi |
Pages | 94 |
Binding | Paperback |
ISBN-10 | 8195061710 |
ISBN-13 | 9788195061716 |
ISBN-EBook | 9789392756054 |
Book Dimensions | 8"x5.25" |
Edition | 1st |
Publishing Year | 2021 |
Weight | 0.106 gm |
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यह नाटक एक तंत्र के अलग-अलग रूपों को दिखाता है। इसमें शिकार भी हैं और शिकारी भी। इस तरह पूरी व्यवस्था एक खेल है और उसके भ्रष्टाचार के लिए किसी एक को निश्चित रूप से दोषी ठहरा पाना मुश्किल है। उदाहरण के लिए एक गरीब किसान है, पर गरीबी में भी उसने दर्जन भर बच्चे पैदा किए हैं। दिलचस्प ये है कि यहाँ प्रभु जी ही व्यवस्था बदलना चाहते हैं। लेकिन लोग-बाग इतने निर्लज्ज, बेबस और खूँखार हो गए हैं कि प्रभु जी को ही कुछ नहीं समझ रहे। नाटक में एक ऐसा परिहास है जो गहरे तंज में लिपटा हुआ है। अपने कथानक में यह काफी भरा-पुरा और दृश्यों की विविधता वाला नाटक है। निर्देशक और अभिनेता दोनों के लिए इसमें खुलकर खेलने के काफी मौके हैं। यह मंच के लिए ऐसा सॉलिड रॉ मटीरियल है जिसकी हकीकत दर्शक को प्रसन्न तरह से क्षुब्ध कर सकती है।
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