Devayana Volume 3 Part 2

1,500 1,200

Author:  
Dr. Hajari
Dr. Hajari
Transcribed by Amita Nathwani
Language English
Pages 696
Binding Hardback
ISBN-13 9789392756542
Edition 1st
Publishing Year 2023
Categories: ,
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लव मंडल में एक विस्मयकारी आख्यान है, जिसमें लौह युग के स्वामी – कलि, दुर्वासा ऋषि से अयोध्या जाने के लिए कहते हैं। अयोध्या पहुँचने पर, ऋषि भगवान राम से तुरंत मिलने के लिए अनुरोध करते हैं। इससे पहले, कलि ने राम से एक वचन ले लिया था कि उनकी महत्वपूर्ण बातचीत को दौरान कोई भी व्यवधान नहीं डाले। यदि कोई बाधा डाले, तो उस व्यक्ति को राज्य से निष्कासित कर दिया जाए। जब वे बातचीत करने में व्यस्त थे, तब लक्ष्मण बाहर खड़े थे और डरे हुए थे कि यदि ऋषि से प्रतीक्षा कराई जाए तो वे क्रुद्ध हो जाएँगे। वे बलपूर्वक कक्ष में प्रवेश कर गए क्योंकि वे ऋषि की इच्छा पूरी करना चाहते थे। यह कलि के साथ पूर्व-निर्धारित समझौते का उल्लंघन सिद्ध हुआ। इसके फल-स्वरूप भगवान राम, लक्ष्मण को अपने राज्य से निष्काषित करने के लिए बाध्य हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि लक्ष्मण ने सरयू नदी में आत्मविसर्जन कर दिया। इससे पहले, भरत और शत्रुघ्न धरती माता की गोद में सीता के लुप्त होने के कारण इतने क्षुब्ध हो गए थे कि उन्होंने स्वेच्छा से अपने शरीरों को सरयू में विसर्जित कर दिया था।
हम भगवान राम और राजा जनक के बीच वार्ता सुनते हैं। यहाँ राम योग के विभिन्न मार्गों – राज योग, हठ योग और भक्ति योग का वर्णन करते हैं और बताते हैं कि हम परम ज्ञान कैसे प्राप्त करते हैं। इसके बाद, भगवान राम उपनिषदों और अन्य ग्रंथों में निहित ज्ञान का भी वर्णन करते हैं।
अपने उत्तरदायित्त्वों को गंभीरता से लेते हुए, वे जनक से लव और कुश के विवाह सुनिश्चित करने के लिए निवेदन करते हैं, जिससे वे अपने साम्राज्य को शासन करने का भार ग्रहण करें और राम एक राजा के कर्त्तव्यों से अवकाश ले सकें।
देवायण के इस भाग में वर्णन की गई समयावधि के दौरान, हम देखते हैं कि कैसे त्रेता युग के स्वामी, त्रिता से भगवान राम विभिन्न विषयों पर परामर्श प्राप्त करते हैं। हम कुशध्वज, अश्वतर, रुरु, इत्यादि के शासन तथा उनके शासन काल के दौरान होने वाले घटना-क्रमों के दर्शक बन कर उनके बारे में जानते हैं।

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